मैंने कहा, “परमेश्वर क्या यह अच्छा है कि मैं मर जाऊँ
और कब्र के भीतर नीचे चला जाऊँ
मरे हुए जन तो मिट्टी में लेटे रहते हैं,
वे तेरे नेक की स्तुति जो सदा सदा बनी रहती है नहीं करते।
مَا الْفَائِدَةُ مِنْ دَمِي إِذَا نَزَلْتُ إِلَى الْحُفْرَةِ؟ هَلْ يَحْمَدُكَ التُّرَابُ؟ هَلْ يُخْبِرُ بِحَقِّكَ؟