“हे सोर, सीदोन, और पलिश्तीन के सभी प्रदेशों! तुम मेरे लिये कोई महत्व नही रखते! क्या तुम मुझे मेरे किसी कर्म के लिये दण्ड दे रहो हो हो सकता है तुम यह सोच रहे हो कि तुम मुझे दण्ड दे रहे हो किन्तु शीघ्र ही मैं हो तुम्हें दण्ड देने वाला हूँ।
«وَمَاذَا أَنْتُنَّ لِي يَا صُورُ وَصَيْدُونُ وَجَمِيعَ دَائِرَةِ فِلِسْطِينَ؟ هَلْ تُكَافِئُونَنِي عَنِ الْعَمَلِ، أَمْ هَلْ تَصْنَعُونَ بِي شَيْئًا؟ سَرِيعًا بِالْعَجَلِ أَرُدُّ عَمَلَكُمْ عَلَى رُؤُوسِكُمْ.