Daniel 4

राजा नबूकदनेस्सर ने बहुत सी जातियों और दूसरी भाषा बोलने वाले लोगों को, जो सारी दुनिया में बसे हुये थे, यह पत्र भेजा। शुभकामनाएँ:
مِنْ نَبُوخَذْنَصَّرَ الْمَلِكِ إِلَى كُلِّ الشُّعُوبِ وَالأُمَمِ وَالأَلْسِنَةِ السَّاكِنِينَ فِي الأَرْضِ كُلِّهَا: لِيَكْثُرْ سَلاَمُكُمْ.
परम प्रधान परमेश्वर ने मेरे साथ जो आश्चर्यजनक अद्भुत बातें की हैं, उनके बारे में तुम्हें बताते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता है।
اَلآيَاتُ وَالْعَجَائِبُ الَّتِي صَنَعَهَا مَعِي اللهُ الْعَلِيُّ، حَسُنَ عِنْدِي أَنْ أُخْبِرَ بِهَا.
अद्भुत चमत्कार किये हैं! परमेश्वर ने शक्ति पूर्ण चमत्कार किये हैं! परमेश्वर का राज्य सदा टिका रहता है; परमेश्वर का शासन पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है।
آيَاتُهُ مَا أَعْظَمَهَا، وَعَجَائِبُهُ مَا أَقْوَاهَا! مَلَكُوتُهُ مَلَكُوتٌ أَبَدِيٌّ وَسُلْطَانُهُ إِلَى دَوْرٍ فَدَوْرٍ.
मैं, नबूकदनेस्सर, अपने महल में था। मैं प्रसन्न और सफल था।
أَنَا نَبُوخَذْنَصَّرُ قَدْ كُنْتُ مُطْمَئِنًّا فِي بَيْتِي وَنَاضِرًا فِي قَصْرِي.
मैंने एक सपना देखा जिसने मुझे डरा दिया। मैं अपने बिस्तर में सो रहा था। मैंने दर्शनों को देखा। जो कुछ मैंने देखा था, उसने मुझे बहुत डरा दिया।
رَأَيْتُ حُلْمًا فَرَوَّعَنِي، وَالأَفْكَارُ عَلَى فِرَاشِي وَرُؤَى رَأْسِي أَفْزَعَتْنِي.
सो मैंने यह आज्ञा दी कि बाबुल के सभी बुद्धिमान लोगों को मेरे पास लाया जाये ताकि वे मुझे मेरे स्वप्न का फल बतायें।
فَصَدَرَ مِنِّي أَمْرٌ بِإِحْضَارِ جَمِيعِ حُكَمَاءِ بَابِلَ قُدَّامِي لِيُعَرِّفُونِي بِتَعْبِيرِ الْحُلْمِ.
जब तांत्रिक और कसदी लोग मेरे पास आये तो मैंने उन्हें अपने सपने के बारे में बताया। किन्तु वे लोग मुझे मेरे सपने का अर्थ नहीं बता पाये।
حِينَئِذٍ حَضَرَ الْمَجُوسُ وَالسَّحَرَةُ وَالْكَلْدَانِيُّونَ وَالْمُنَجِّمُونَ، وَقَصَصْتُ الْحُلْمَ عَلَيْهِمْ، فَلَمْ يُعَرِّفُونِي بِتَعْبِيرِهِ.
अंत में दानिय्येल मेरे पास आया (मैंने अपने ईश्वर को सम्मानित करने के लिये दानिय्येल को बेलतशस्सर नाम दिया था। पवित्र ईश्वरों की आत्मा का उसमें निवास है।) दानिय्येल को मैंने अपना सपना कह सुनाया।
أَخِيرًا دَخَلَ قُدَّامِي دَانِيآلُ الَّذِي اسْمُهُ بَلْطَشَاصَّرُ كَاسْمِ إِلهِي، وَالَّذِي فِيهِ رُوحُ الآلِهَةِ الْقُدُّوسِينَ، فَقَصَصْتُ الْحُلْمَ قُدَّامَهُ:
मैंने उसे कहा, “हे बेलतशस्सर, तू सभी तांत्रिकों में सबसे बड़ा है। मुझे पता है कि तुझमें पवित्र ईश्वर की आत्मा वास करती है। मैं जानता हूँ कि किसी भी रहस्य को समझना तेरे लिये कठिन नहीं है। मैंने जो सपना देखा था, वह यह है। तू मझे इसका अर्थ समझा।
«يَا بَلْطَشَاصَّرُ، كَبِيرُ الْمَجُوسِ، مِنْ حَيْثُ إِنِّي أَعْلَمُ أَنَّ فِيكَ رُوحَ الآلِهَةِ الْقُدُّوسِينَ، وَلاَ يَعْسُرُ عَلَيْكَ سِرٌّ، فَأَخْبِرْنِي بِرُؤَى حُلْمِي الَّذِي رَأَيْتُهُ وَبِتَعْبِيرِهِ.
जब मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ था तो मैंने जो दिव्य दर्शन देखे, वे ये हैं। मैंने देखा कि मेरे सामने धरती के बीचों—बीच एक वृक्ष खड़ा है। वह वृक्ष बहुत लम्बा था।
فَرُؤَى رَأْسِي عَلَى فِرَاشِي هِيَ: أَنِّي كُنْتُ أَرَى فَإِذَا بِشَجَرَةٍ فِي وَسَطِ الأَرْضِ وَطُولُهَا عَظِيمٌ.
वृक्ष बड़ा होता हुआ एक विशाल मज़बूत वृक्ष बन गया। वृक्ष की चोटी आकाश छूने लगी। उस वृक्ष को धरती पर कहीं से भी देखा जा सकता था।
فَكَبُرَتِ الشَّجَرَةُ وَقَوِيَتْ، فَبَلَغَ عُلُوُّهَا إِلَى السَّمَاءِ وَمَنْظَرُهَا إِلَى أَقْصَى كُلِّ الأَرْضِ.
वृक्ष की पत्तियाँ सुन्दर थीं। वृक्ष पर बहुत अच्छे फल बहुतायत में लगे थे और उस वृक्ष पर हर किसी के लिये भरपूर खाने को था। जंगली जानवर वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए थे और वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ियों का बसेरा था। हर पशु पक्षी उस वृक्ष से ही भोजन पाता था।
أَوْرَاقُهَا جَمِيلَةٌ وَثَمَرُهَا كَثِيرٌ وَفِيهَا طَعَامٌ لِلْجَمِيعِ، وَتَحْتَهَا اسْتَظَلَّ حَيَوَانُ الْبَرِّ، وَفِي أَغْصَانِهَا سَكَنَتْ طُيُورُ السَّمَاءِ، وَطَعِمَ مِنْهَا كُلُّ الْبَشَرِ.
“अपने बिस्तर पर लेटे—लेटे दर्शन में मैं उन वस्तुओं को देख रहा था और तभी एक पवित्र स्वर्गदूत को मैंने स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा।
كُنْتُ أَرَى فِي رُؤَى رَأْسِي عَلَى فِرَاشِي وَإِذَا بِسَاهِرٍ وَقُدُّوسٍ نَزَلَ مِنَ السَّمَاءِ،
वह बड़े ऊँचे स्वर में बोला। उसने कहा, ‘वृक्ष को काट फेंको। इसकी टहनियों को काट डालो। इसकी पत्तियों को नोच लो। इसके फलों को चारों ओर बिखेर दो। इस वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए पशु कहीं दूर भाग जायेंगे। इसकी शाखाओं पर बसेरा किये हुए पक्षी कहीं उड़ जायेंगे।
فَصَرَخَ بِشِدَّةٍ وَقَالَ هكَذَا: اقْطَعُوا الشَّجَرَةَ، وَاقْضِبُوا أَغْصَانَهَا، وَانْثُرُوا أَوْرَاقَهَا، وَابْذُرُوا ثَمَرَهَا، لِيَهْرُبَ الْحَيَوَانُ مِنْ تَحْتِهَا وَالطُّيُورُ مِنْ أَغْصَانِهَا.
किन्तु इसके तने और इसकी जड़ों को धरती में रहने दो। इसके चारों ओर लोहे और काँसे का एक बंधेज बांध दो। अपने आस पास उगी घास के साथ इसका तना और इसकी जड़ें धरती में रहेंगी। जंगली पशुओं और पेड़ पौधों के बीच यह खेतों में रहेगा। ओस से वह नम हो जायेगा।
وَلكِنِ اتْرُكُوا سَاقَ أَصْلِهَا فِي الأَرْضِ، وَبِقَيْدٍ مِنْ حَدِيدٍ وَنُحَاسٍ فِي عُشْبِ الْحَقْلِ، وَلْيَبْتَلَّ بِنَدَى السَّمَاءِ، وَلْيَكُنْ نَصِيبُهُ مَعَ الْحَيَوَانِ فِي عُشْبِ الْحَقْلِ.
वह अधिक समय तक मनुष्य की तरह नहीं सोचेगा। उसका मन पशु के मन जैसा हो जायेगा। उसके ऐसा ही रहते हुए सातऋ तु चक्र (वर्ष) बीत जायेगा।’
لِيَتَغَيَّرْ قَلْبُهُ عَنِ الإِنْسَانِيَّةِ، وَلِْيُعْطَ قَلْبَ حَيَوَانٍ، وَلْتَمْضِ عَلَيْهِ سَبْعَةُ أَزْمِنَةٍ.
“एक पवित्र स्वर्गदूत ने इस दण्ड की घोषणा की थी ताकि धरती के सभी लोगों को यह पता चल जाये कि मनुष्यों के राज्यों के ऊपर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है। परमेश्वर जिसे भी चाहता है। इन राज्यों को दे देता है और परमेश्वर उन राज्यों पर शासन करने के लिये विनम्र मनुष्यों को चुनता है।
هذَا الأَمْرُ بِقَضَاءِ السَّاهِرِينَ، وَالْحُكْمُ بِكَلِمَةِ الْقُدُّوسِينَ، لِكَىْ تَعْلَمَ الأَحْيَاءُ أَنَّ الْعَلِيَّ مُتَسَلِّطٌ فِي مَمْلَكَةِ النَّاسِ، فَيُعْطِيهَا مَنْ يَشَاءُ، وَيُنَصِّبَ عَلَيْهَا أَدْنَى النَّاسِ.
“बस मैंने (राजा नबूकदनेस्सर ने) सपने में यही देखा है। अब हे बेलतशस्सर! तु मुझे यह बता कि इस सपने का अर्थ क्या है मेरे राज्य का कोई भी बुद्धिमान पुरूष मुझे यह सपने का फल नही बता पा रहा है। किन्तु हे बेलतशस्सर, तू मेरे इस सपने की व्याख्या कर सकता है क्योंकि तुझमें पवित्र परमेश्वर की आत्मा निवास करती है।”
هذَا الْحُلْمُ رَأَيْتُهُ أَنَا نَبُوخَذْنَصَّرَ الْمَلِكَ. أَمَّا أَنْتَ يَا بَلْطَشَاصَّرُ فَبَيِّنْ تَعْبِيرَهُ، لأَنَّ كُلَّ حُكَمَاءِ مَمْلَكَتِي لاَ يَسْتَطِيعُونَ أَنْ يُعَرِّفُونِي بِالتَّعْبِيرِ. أَمَّا أَنْتَ فَتَسْتَطِيعُ، لأَنَّ فِيكَ رُوحَ الآلِهَةِ الْقُدُّوسِينَ».
तब दानिय्येल (जिसका नाम बेलतशस्सर भी था) थोड़ी देर के लिये एकदम चुप हो गया। जिन बातों को वह सोच रहा था, वे उसे व्याकुल किये जा रही थी। सो राजा ने उससे कहा, “हे बेलतशस्सर (दानिय्येल), तू उस सपने या उस सपने के फल से भयभीत मत हो।” इस पर बेलतशस्सर (दानिय्येल) ने राजा को उत्तर दिया, “हे मेरे स्वामी, काश यह सपना तेरे शत्रुओं पर पड़े और इसका फल, जो तेरे विरोधी हैं, उनको मिले!”
حِينَئِذٍ تَحَيَّرَ دَانِيآلُ الَّذِي اسْمُهُ بَلْطَشَاصَّرُ سَاعَةً وَاحِدَةً وَأَفْزَعَتْهُ أَفْكَارُهُ. أَجَابَ الْمَلِكُ وَقَالَ: «يَا بَلْطَشَاصَّرُ، لاَ يُفْزِعُكَ الْحُلْمُ وَلاَ تَعْبِيرُهُ». فَأَجَابَ بَلْطَشَاصَّرُ وَقَالَ: «يَا سَيِّدِي، الْحُلْمُ لِمُبْغِضِيكَ وَتَعْبِيرُهُ لأَعَادِيكَ.
आपने सपने में एक वृक्ष देखा था। वह वृक्ष बड़ा हुआ और मज़बूत बन गया। वृक्ष की चोटी आसमान छू रही थी। धरती में हर कही से वह वृक्ष दिखाई देता था। उसकी पत्तियाँ सुन्दर थीं और उस पर बहुतायत में फल लगे थे। उन फलो से हर किसी को पर्याप्त भोजन मिलता था। जंगली पशुओं का तो वह घर ही था और उसकी शाखाओं पर चिड़ियों ने बसेरा किया हुआ था। तुमने सपने में ऐसा वृक्ष देखा था।
اَلشَّجَرَةُ الَّتِي رَأَيْتَهَا، الَّتِي كَبُرَتْ وَقَوِيَتْ وَبَلَغَ عُلُوُّهَا إِلَى السَّمَاءِ، وَمَنْظَرُهَا إِلَى كُلِّ الأَرْضِ،
आपने सपने में एक वृक्ष देखा था। वह वृक्ष बड़ा हुआ और मज़बूत बन गया। वृक्ष की चोटी आसमान छू रही थी। धरती में हर कही से वह वृक्ष दिखाई देता था। उसकी पत्तियाँ सुन्दर थीं और उस पर बहुतायत में फल लगे थे। उन फलो से हर किसी को पर्याप्त भोजन मिलता था। जंगली पशुओं का तो वह घर ही था और उसकी शाखाओं पर चिड़ियों ने बसेरा किया हुआ था। तुमने सपने में ऐसा वृक्ष देखा था।
وَأَوْرَاقُهَا جَمِيلَةٌ وَثَمَرُهَا كَثِيرٌ وَفِيهَا طَعَامٌ لِلْجَمِيعِ، وَتَحْتَهَا سَكَنَ حَيَوَانُ الْبَرِّ، وَفِي أَغْصَانِهَا سَكَنَتْ طُيُورُ السَّمَاءِ،
हे राजन, वह वृक्ष आप ही हैं। आप महान और शक्तिशाली बन चुके हैं। आप उस ऊँचे वृक्ष के समान हैं जिसने आकाश छू लिया है और आपकी शक्ति धरती के सुदूर भागों तक पहुँची हुई है।
إِنَّمَا هِيَ أَنْتَ يَاأَيُّهَا الْمَلِكُ، الَّذِي كَبُرْتَ وَتَقَوَّيْتَ، وَعَظَمَتُكَ قَدْ زَادَتْ وَبَلَغَتْ إِلَى السَّمَاءِ، وَسُلْطَانُكَ إِلَى أَقْصَى الأَرْضِ.
हे राजन, आपने एक पवित्र स्वर्गदूत को आकाश से नीचे उतरते देखा था। स्वर्गदूत ने कहा था वृक्ष को काट डालो और उसे नष्ट कर दो। वृक्ष के तने पर लोहे और काँसे का बन्धेज डाल दो और इसके तने और जड़ो को धरती में ही छोड़ दो। खेत में घास के बीच इसे रहने दो। ओस से ही यह नमी लेता रहेगा।वह किसी जंगली पशु के रूप में रहा करेगा।इसके इसी हाल में सात ऋतु—चक्र (साल) बीत जायेंगे।
وَحَيْثُ رَأَى الْمَلِكُ سَاهِرًا وَقُدُّوسًا نَزَلَ مِنَ السَّمَاءِ وَقَالَ: اقْطَعُوا الشَّجَرَةَ وَأَهْلِكُوهَا، وَلكِنِ اتْرُكُوا سَاقَ أَصْلِهَا فِي الأَرْضِ، وَبِقَيْدٍ مِنْ حَدِيدٍ وَنُحَاسٍ فِي عُشْبِ الْحَقْلِ، وَلْيَبْتَلَّ بِنَدَى السَّمَاءِ، وَلْيَكُنْ نَصِيبُهُ مَعَ حَيَوَانِ الْبَرِّ، حَتَّى تَمْضِيَ عَلَيْهِ سَبْعَةُ أَزْمِنَةٍ.
“हे राजा, आपके स्वप्न का फल यही है। परम प्रधान परमेश्वर ने मेरे स्वामी राजा के प्रति इन बातों के घटने का आदेश दिया है।
فَهذَا هُوَ التَّعْبِيرُ أَيُّهَا الْمَلِكُ، وَهذَا هُوَ قَضَاءُ الْعَلِيِّ الَّذِي يَأْتِي عَلَى سَيِّدِي الْمَلِكِ:
हे राजा नबूकदनेस्सर, प्रजा से दूर चले जाने के लिये आपको विवश किया जायेगा। जंगली पशुओं के बीच आपको रहना होगा। मवेशियों के समान आप घास से पेट भरेंगे और ओस से भीगेंगे सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे और फिर उसके बाद तुम यह पाठ पढ़ोगे कि परम प्रधान परमेश्वर मनुष्यों के साम्राज्यों पर शासन करता है और वह जिसे भी चाहता है, उसको राज्य दे देता है।
يَطْرُدُونَكَ مِنْ بَيْنِ النَّاسِ، وَتَكُونُ سُكْنَاكَ مَعَ حَيَوَانِ الْبَرِّ وَيُطْعِمُونَكَ الْعُشْبَ كَالثِّيرَانِ، وَيَبُلُّونَكَ بِنَدَى السَّمَاءِ، فَتَمْضِي عَلَيْكَ سَبْعَةُ أَزْمِنَةٍ حَتَّى تَعْلَمَ أَنَّ الْعَلِيَّ مُتَسَلِّطٌ فِي مَمْلَكَةِ النَّاسِ وَيُعْطِيهَا مَنْ يَشَاءُ.
“वृक्ष के तने और उसकी जड़ों को धरती में छोड़ देने को आदेश का अर्थ यह है—कि आपका साम्राज्य आपको वापस मिल जायेगा। किन्तु यह उसी समय होगा जब तुम यह जान जाओगे कि तुम्हारे राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है।
وَحَيْثُ أَمَرُوا بِتَرْكِ سَاقِ أُصُولِ الشَّجَرَةِ، فَإِنَّ مَمْلَكَتَكَ تَثْبُتُ لَكَ عِنْدَمَا تَعْلَمُ أَنَّ السَّمَاءَ سُلْطَانٌ.
इसलिये हे राजन, आप कृपा करके मेरी सलाह मानें। मैं आपको यह सलाह देता हूँ कि आप पाप करना छोड़ दें और जो उचित है, वही करें। कुकर्मो का त्याग कर दें। गरीबों पर दयालु हों। तभी आप सफल बने रह सकेंगे।”
لِذلِكَ أَيُّهَا الْمَلِكُ، فَلْتَكُنْ مَشُورَتِي مَقْبُولَةً لَدَيْكَ، وَفَارِقْ خَطَايَاكَ بِالْبِرِّ وَآثَامَكَ بِالرَّحْمَةِ لِلْمَسَاكِينِ، لَعَلَّهُ يُطَالُ اطْمِئْنَانُكَ».
ये सभी बातें राजा नबूकदनेस्सर के साथ घटीं।
كُلُّ هذَا جَاءَ عَلَى نَبُوخَذْنَصَّرَ الْمَلِكِ.
इस सपने के बारह महीने बाद जब राजा नकूबदनेस्सर बाबुल में अपने महल की छत पर घूम रहा था, तो छत पर खड़े—खड़े ही वह कहने लगा, “बाबुल को देखो! इस महान नगर का निर्माण मैंने किया है। यह महल मेरा है! मैंने अपनी शक्ति से इस विशाल नगर का निर्माण किया है। इस स्थान का निर्माण मैंने यह दिखाने के लिये किया है कि मैं कितना बड़ा हूँ।”
عِنْدَ نِهَايَةِ اثْنَيْ عَشَرَ شَهْرًا كَانَ يَتَمَشَّى عَلَى قَصْرِ مَمْلَكَةِ بَابِلَ.
इस सपने के बारह महीने बाद जब राजा नकूबदनेस्सर बाबुल में अपने महल की छत पर घूम रहा था, तो छत पर खड़े—खड़े ही वह कहने लगा, “बाबुल को देखो! इस महान नगर का निर्माण मैंने किया है। यह महल मेरा है! मैंने अपनी शक्ति से इस विशाल नगर का निर्माण किया है। इस स्थान का निर्माण मैंने यह दिखाने के लिये किया है कि मैं कितना बड़ा हूँ।”
وَأَجَابَ الْمَلِكُ فَقَالَ: «أَلَيْسَتْ هذِهِ بَابِلَ الْعَظِيمَةَ الَّتِي بَنَيْتُهَا لِبَيْتِ الْمُلْكِ بِقُوَّةِ اقْتِدَارِي، وَلِجَلاَلِ مَجْدِي؟»
ये शब्द अभी उसके मुँह में ही थे कि एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी ने कहा, “राजा नबूकदनेस्सर, तेरे साथ ये बातें घटेंगी। राजा के रूप में तुझसे तेरी शक्ति छीन ली गयी है।
وَالْكَلِمَةُ بَعْدُ بِفَمِ الْمَلِكِ، وَقَعَ صَوْتٌ مِنَ السَّمَاءِ قَائِلاً: «لَكَ يَقُولُونَ يَا نَبُوخَذْنَصَّرُ الْمَلِكُ: إِنَّ الْمُلْكَ قَدْ زَالَ عَنْكَ.
तुझे प्रजा से दूर जाना होगा। जंगली पशुओं के साथ तेरा निवास होगा। तू ढ़ोरों की तरह घास खायेगा। इससे पहले कि तू सबक सीखे, सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे। तब तू यह समझेगा कि मनुष्य के राज्यों पर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है और परम प्रधान परमेश्वर जिसे चाहता है, उसे राज्य दे देता है।”
وَيَطْرُدُونَكَ مِنْ بَيْنِ النَّاسِ، وَتَكُونُ سُكْنَاكَ مَعَ حَيَوَانِ الْبَرِّ، وَيُطْعِمُونَكَ الْعُشْبَ كَالثِّيرَانِ، فَتَمْضِي عَلَيْكَ سَبْعَةُ أَزْمِنَةٍ حَتَّى تَعْلَمَ أَنَّ الْعَلِيَّ مُتَسَلِّطٌ فِي مَمْلَكَةِ النَّاسِ وَأَنَّهُ يُعْطِيهَا مَنْ يَشَاءُ».
फिर तत्काल ही यह बातें घट गयीं। नबूकदनेस्सर को लोगों से दूर जाना पड़ा। उसने ढ़ोरों की तरह घास खाना शुरू कर दिया। वह ओस में भीगा। किसी उकाब के पंखों के समान उसके बाल बढ़ गये और उसके नाखून ऐसे बढ़ गये जैसे किसी पक्षी के पंजों के नाखून होते हैं।
فِي تِلْكَ السَّاعَةِ تَمَّ الأَمْرُ عَلَى نَبُوخَذْنَصَّرَ، فَطُرِدَ مِنْ بَيْنِ النَّاسِ، وَأَكَلَ الْعُشْبَ كَالثِّيرَانِ، وَابْتَلَّ جِسْمُهُ بِنَدَى السَّمَاءِ حَتَّى طَالَ شَعْرُهُ مِثْلَ النُّسُورِ، وَأَظْفَارُهُ مِثْلَ الطُّيُورِ.
फिर उस समय के अंत में मैं (नकूबदनेस्सर) ने ऊपर स्वर्ग की ओर देखा। मैं फिर सही ढ़ंग से सोचने विचारने लगा। सो मैंने परम प्रधान परमेश्वर की स्तुति की, जो सदा अमर है, मैंने उसे आदर और महिमा प्रदान की। परमेश्वर शासन सदा करता है! उसका राज्य पीढ़ी दर पीढ़ीबना रहता है।
وَعِنْدَ انْتِهَاءِ الأَيَّامِ، أَنَا نَبُوخَذْنَصَّرُ، رَفَعْتُ عَيْنَيَّ إِلَى السَّمَاءِ، فَرَجَعَ إِلَيَّ عَقْلِي، وَبَارَكْتُ الْعَلِيَّ وَسَبَّحْتُ وَحَمَدْتُ الْحَيَّ إِلَى الأَبَدِ، الَّذِي سُلْطَانُهُ سُلْطَانٌ أَبَدِيٌّ، وَمَلَكُوتُهُ إِلَى دَوْرٍ فَدَوْرٍ.
इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।
وَحُسِبَتْ جَمِيعُ سُكَّانِ الأَرْضِ كَلاَ شَيْءَ، وَهُوَ يَفْعَلُ كَمَا يَشَاءُ فِي جُنْدِ السَّمَاءِ وَسُكَّانِ الأَرْضِ، وَلاَ يُوجَدُ مَنْ يَمْنَعُ يَدَهُ أَوْ يَقُولُ لَهُ: «مَاذَا تَفْعَلُ؟».
सो, उस अवसर, पर परमेश्वर ने मुझे मेरी बुद्धि फिर दे दी और उसने एक राजा के रूप में मेरा बड़ा मान, सम्मान और शक्ति भी वापस लौटा दी। मेरे मन्त्री और मेरे राजकीय लोग फिर मेरे पास आने लगे। मैं फिर से राजा बन गया। मैं पहले से भी अधिक महान और शक्तिशाली हो गया था
فِي ذلِكَ الْوَقْتِ رَجَعَ إِلَيَّ عَقْلِي، وَعَادَ إِلَيَّ جَلاَلُ مَمْلَكَتِي وَمَجْدِي وَبَهَائِي، وَطَلَبَنِي مُشِيرِيَّ وَعُظَمَائِي، وَتَثَبَّتُّ عَلَى مَمْلَكَتِي وَازْدَادَتْ لِي عَظَمَةٌ كَثِيرَةٌ.
और देखो अब मैं, नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा की स्तुति करता हूँ तथा उसे आदर और महिमा देता हूँ। वह जो कुछ करता है, ठीक करता है। वह सदा न्यायपूर्ण है। उसमें अहंकारी लोगों को विनम्र बना देने की क्षमता है!
فَالآنَ، أَنَا نَبُوخَذْنَصَّرُ، أُسَبِّحُ وَأُعَظِّمُ وَأَحْمَدُ مَلِكَ السَّمَاءِ، الَّذِي كُلُّ أَعْمَالِهِ حَقٌّ وَطُرُقِهِ عَدْلٌ، وَمَنْ يَسْلُكُ بِالْكِبْرِيَاءِ فَهُوَ قَادِرٌ عَلَى أَنْ يُذِلَّهُ.