मैंने अपने स्वामी को दर्शन के सामने खड़ा देखा। उसने कहा,
“स्तम्भों के सिरे पर प्रहार करो, और पूरी इमारत की देहली तक काँप उठेगी।
स्तम्भों को लोगों के सिर पर गिराओ।
यदि कोई जीवित बचेगा, सो उसे तलवार से मारो।
कोई व्यक्ति भाग सकता है, किन्तु वह बच नहीं सकेगा।
लोगों में से कोई भी व्यक्ति बचकर नहीं निकलेगा।
رَأَيْتُ السَّيِّدَ قَائِمًا عَلَى الْمَذْبَحِ، فَقَالَ: «اِضْرِبْ تَاجَ الْعَمُودِ حَتَّى تَرْجُفَ الأَعْتَابُ، وَكَسِّرْهَا عَلَى رُؤُوسِ جَمِيعِهِمْ، فَأَقْتُلَ آخِرَهُمْ بِالسَّيْفِ. لاَ يَهْرُبُ مِنْهُمْ هَارِبٌ وَلاَ يُفْلِتُ مِنْهُمْ نَاجٍ.