किन्तु पौलुस ने उन सिपाहियों से कहा, “यद्यपि हम रोमी नागरिक हैं पर उन्होंने हमें अपराधी पाये बिना ही सब के सामने मारा-पीटा और जेल में डाल दिया। और अब चुपके-चुपके वे हमें बाहर भेज देना चाहते हैं, निश्चय ही ऐसा नहीं होगा। होना तो यह चाहिये के वे स्वयं आकार हमें बाहर निकालें!”
فَقَالَ لَهُمْ بُولُسُ:«ضَرَبُونَا جَهْرًا غَيْرَ مَقْضِيٍّ عَلَيْنَا، وَنَحْنُ رَجُلاَنِ رُومَانِيَّانِ، وَأَلْقَوْنَا فِي السِّجْنِ. أَفَالآنَ يَطْرُدُونَنَا سِرًّا؟ كَلاَّ! بَلْ لِيَأْتُوا هُمْ أَنْفُسُهُمْ وَيُخْرِجُونَا».