और ऐसे दासों को भी जिनके स्वामी विश्वासी हैं, बस इसलिए कि वे उनके धर्म भाई हैं, उनके प्रति कम सम्मान नहीं दिखाना चाहिए, बल्कि उन्हें तो अपने स्वामियों की और अधिक सेवा करनी चाहिए क्योंकि जिन्हें इसका लाभ मिल रहा है, वे विश्वासी हैं, जिन्हें वे प्रेम करते हैं। इन बातों को सिखाते रहो तथा इनका प्रचार करते रहो।
وَالَّذِينَ لَهُمْ سَادَةٌ مُؤْمِنُونَ، لاَ يَسْتَهِينُوا بِهِمْ لأَنَّهُمْ إِخْوَةٌ، بَلْ لِيَخْدِمُوهُمْ أَكْثَرَ، لأَنَّ الَّذِينَ يَتَشَارَكُونَ فِي الْفَائِدَةِ، هُمْ مُؤْمِنُونَ وَمَحْبُوبُونَ. عَلِّمْ وَعِظْ بِهذَا.