چرا خدا وقتی را برای داوری تعیین نمیکند؟
تا به کی بندگان او انتظار بکشند؟
“सर्वशक्तिमान परमेश्वर क्यों नहीं न्याय करने के लिये समय नियुक्त करता है?
लोग जो परमेश्वर को मानते हैं उन्हें क्यों न्याय के समय की व्यर्थ बाट जोहनी पड़ती है
مردم شریر حدودِ زمین را تغییر میدهند تا زمین زیادتری به دست آورند.
گلّهٔ مردم را میدزدند و به چراگاهِ خود میبرند.
“लोग अपनी सम्पत्ति के चिन्हों को, जो उसकी सीमा बताते है,
सरकाते रहते हैं ताकि अपने पड़ोसी की थोड़ी और धरती हड़प लें!
लोग पशु को चुरा लेते हैं और उन्हें चरागाहों में हाँक ले जाते हैं।
شخص شریر دستخوش سیل و توفان میشود
و زمین او مورد لعنت خدا قرار میگیرد
و بیثمر میماند.
“दुष्ट जन ऐसे बहा दिये जाते हैं, जैसे झाग बाढ़ के पानी पर।
वह धरती अभिशिप्त है जिसके वे मालिक हैं, इसलिये वे अंगूर के बगीचों में अगूंर बिनने नहीं जाते हैं।
حتّی مادرانشان هم آنها را از یاد میبرند و فراموش میکنند؛
و آنها همچون درختی شکسته، توسط کرمها خورده میشوند.
दुष्ट मरने के बाद उसकी माँ तक उसे भूल जायेगी, दुष्ट की देह को कीड़े खा जायेंगे।
उसको थोड़ा भी नहीं याद रखा जायेगा, दुष्ट जन गिरे हुये पेड़ से नष्ट किये जायेंगे।
خدا با قدرت خود ظالمان را نابود میسازد.
آنها ظاهراً موفّق به نظر میرسند، امّا در واقع امیدی در زندگی ندارند.
बुरे लोग अपनी शक्ति का उपयोग बलशाली को नष्ट करने के लिये करते है।
बुरे लोग शक्तिशाली हो जायेंगे, किन्तु अपने ही जीवन का उन्हें भरोसा नहीं होगा कि वे अधिक दिन जी पायेंगे।
برای مدّتی موفّق میشوند،
لیکن بزودی مثل علف، پژمرده میشوند
و مانند خوشههای گندم، قطع میگردند.
दुष्ट जन थोड़े से समय के लिये सफलता पा जाते हैं किन्तु फिर वे नष्ट हो जाते हैं।
दूसरे लोगों की तरह वे भी समेट लिये जाते हैं। अन्न की कटी हुई बाल के समान वे गिर जाते हैं।