Kao luk napinju jezik, laž, a ne istina, prevladava na zemlji. Iz zla u zlo srljaju, mene ne poznaju" - riječ je Jahvina!
यदि मुझे मरुभूमि में रहने का स्थान मिल गया होता
जहाँ किसी घर में यात्री रात बिताते, तो मैं अपने लोगों को छोड़ सकता था।
मैं उन लोगों से दूर चला जा सकता था।
क्यों क्योंकि वे सभी परमेश्वर के विश्वासघाती व व्यभिचारी हो गए हैं, वे सभी उसके विरुद्ध हो रहे हैं।